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भारतीय दण्ड संहिता INDIAN PENAL CODE 1860

 भारतीय दण्ड संहिता INDIAN PENAL CODE 1860

@👉अध्याय 1 -  उद्देशिका

उ᳎ेिशका—2 [भारत] के िलए एक साधारण दण्ड संिहता का उपबंध करना समीचीन है; अत: यह िनम् निलिखत रूप मᱶ अिधिनयिमत िकया जाता है :— 

 @👉धारा 1. संिहता का नाम और उसकेपर्वतर्न का िवस्तार—यह अिधिनयम भारतीय दण्ड संिहता कहलाएगा, और इसका 3 [िवस्तार 4 [जम्म-ूकश्मीर राज्य केिसवाय] सम्पूणर्भारत पर होगा] । 

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👉STAY ORDER का क्या मतलब होता हैप्रॉपर्टी पर  स्थगन आदेश क्या होता हैंप्रॉपर्टी पर अदालत से स्थगन  आदेश प्राप्त करने के लिए क्या प्रक्रिया है?

@👉धारा 2. भारत केभीतर िकए गए अपराधᲂ का दण्ड—हर ᳞िक् त इस संिहता केउपबन्धᲂ केपर्ितकूल हर कायर्या लोप केिलए िजसका वह 5 [भारत] 6 *** केभीतर दोषी होगा, इसी संिहता केअधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहᱭ ।

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👉 पिता की संपत्ति में आपका अधिकार // हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956

@👉धारा भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दंड
भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र होभारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगामानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था ।

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👉 हिन्दू नारी की सम्पत्ति उसकी अपनी सम्पत्ति होगी


@👉धारा राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
इस संहिता के उपबंध -
(1) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा ;
(2) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान परचाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वाराकिए गए किसी अपराध को भी लागू है
स्पष्टीकरण इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता हैजो यदि भारत में किया जाता तोइस संहिता के अधीन दंडनीय होता ।
दृष्टांत
जो भारत का नागरिक है उगांडा में हत्या करता है । वह भारत के किसी स्थान मेंजहां वह पाया जाएहत्या के लिए विचारित और दोषसिद्द किया जा सकता है ।

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👉 पिता की संपत्ति में आपका अधिकार // हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956


@👉
धारा कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरोंसैनिकोंनौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन को दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धोंया किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धोंपर प्रभाव नहीं डालेगी ।


@👉
अध्याय 2
साधारण स्पष्टीकरणI
👉धारा संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
इस संहिता में सर्वत्रअपराध की हर परिभाषाहर दण्ड उपबन्ध और हर ऐसी परिभाषा या दण्ड उपबन्ध का हर दृष्टान्त, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगाचाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषादण्ड उपबन्ध या दृष्टान्त में दुहराया न गया हो ।
दृष्टांत : (इस संहिता की वे धाराएँजिनमें अपराधों की परिभाषाएँ अन्तर्विष्ट हैंयह अभिव्यक्त नहीं करती कि सात वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकताकिन्तु परिभाषाएँ उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी हैं जिसमें यह उपबन्धित है कि कोई बातजो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती हैअपराध नहीं है ।
() '' , एक पुलिस ऑफिसरवारण्ट के बिना, 'कोजिसने हत्या की हैपकड़ लेता है । यहाँ 'सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं हैक्योंकि वह 'को पकड़ने के लिए विधि द्वारा आबद्ध थाऔर इसलिए यह मामला उस साधारण अपवाद के अन्तर्गत आ जाता हैजिसमें यह उपबन्धित है कि “कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो ।

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@👉धारा 7 एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव
हर पदजिसका स्पष्टीकरण इस संहिता के किसी भाग में किया गया हैइस संहिता के हर भाग में उस स्पष्टीकरण के अनुरूप ही प्रयोग किया गया है ।
@👉धारा लिंग
पुलिंग वाचक शब्द जहाँ प्रयोग किए गए हैंवे हर व्यक्ति के बारे में लागू हैंचाहे नर हो या नारी ।

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@👉धारा 9 वचन
जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न होएकवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत बहुवचन आता हैऔर बहुवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत एकवचन आता है ।
@👉धारा 10 पुरूषस्त्री
पुरुष” शब्द किसी भी आयु के मानव नर का द्योतक है ; “स्त्री” शब्द किसी भी आयु की मानव नारी का द्योतक है ।

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@👉धारा 11 व्यक्ति
कोई भी कम्पनी या संगमया व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति” शब्द के अन्तर्गत आता है ।
@👉धारा 12 लोक
लोक का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय “लोक” शब्द के अन्तर्गत आता है ।
@👉धारा 13 निरसित
क्वीन” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित ।

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👉स्टाम्प ड्यूटी क्या हैस्टाम्प ड्यूटी देना क्यों 

@👉धारा 14 सरकार का सेवक

"सरकार का सेवकशब्द सरकार के प्राधिकार के द्वारा या अधीनभारत के भीतर उस रूप में बने रहने दिए गएनियुक्त किए गएया नियोजित किए गए किसी भी ऑफिसर या सेवक के द्योतक हैं 
@👉धारा 15 निरसित
ब्रिटिश इण्डिया” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।
@👉धारा 16 निरसित
गवर्नमेंट आफ इण्डिया” की परिभाषा भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलनआदेश, 1937 द्वारा निरसित ।
@👉धारा 17 सरकार
सरकार” केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का द्योतक है 
@👉धारा 18 भारत
भारत” से जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है ।]

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@👉धारा 19 न्यायाधीश
न्यायाधीश” शब्द न केवल हर ऐसे व्यक्ति का द्योतक हैजो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित होकिन्तु उस हर व्यक्ति का भी द्योतक है,
जो किसी विधि कार्यवाही मेंचाहे वह सिविल हो या दाण्डिकअन्तिम निर्णय या ऐसा निर्णयजो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अन्तिम हो जाए या ऐसा निर्णयजो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अन्तिम हो जाएदेने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो,
अथवा जो उस व्यक्ति निकाय में से एक होजो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ।
दृष्टान्त (सन् 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर न्यायाधीश है ।
(किसी आरोप के सम्बन्ध मेंजिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दण्ड देने की शक्ति प्राप्त हैचाहे उसकी अपील होती हो या न होती होअधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है ।
(मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम के अधीन वादों का विचारण करने की और अवधारण करने की शक्ति रखने वाली पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है ।
(किसी आरोप के सम्बन्ध मेंजिनके लिए उसे केवल अन्य न्यायालय को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति प्राप्त हैअधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश नहीं है ।

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@👉धारा 20 न्यायालय
न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश काजिसे अकेले ही को न्यायिकतकार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया होया उस न्यायाधीश-निकाय काजिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकतकार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया होजबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश-निकाय न्यायिकतकार्य कर रहा होद्योतक है ।
दृष्टान्त :
मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम के अधीन कार्य करने वाली पंचायत[5], जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त हैन्यायालय है ।
@👉धारा 21-लोक सेवक
लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति के द्योतक है जो एतस्मिन् पश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है,
अर्थात् : 01 - पहले खण्ड का आलोप किया गया।
02 - भारत की सेनानौ सेना या वायु सेना का हर आयुक्त ऑफिसर ;
03 - हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसे कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्यायनिर्णयिक कॄत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ;]
04 - न्यायालय का हर ऑफिसर (जिसके अन्तर्गत समापकरिसीवर या कमिश्नर आता हैजिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपेर्ट करेया कोई दस्तावेज बनाएअधिप्रमाणीकॄत करेया रखेया किसी सम्पत्ति का भार सम्भाले या उस सम्पत्ति का व्ययन करेया किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करेया कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करेया न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्तिजिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो ;
05 - किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी-सदस्यअसेसर या पंचायत का सदस्य ;
06 - हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्तिजिसको किसी न्यायालय द्वाराया किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वाराकोई मामला या विषयविनिश्चित या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो ;
07 - हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण कर्ता होजिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो ;
08 - सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करेअपराधों की इत्तिला देअप्राधियों को न्याय के लिए उपस्थित करेया लोक के स्वास्थ्यक्षेम या सुविधा की संरक्षा करे ;
09- हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करेप्राप्त करे रखेव्यय करेया सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षणनिर्धारण या संविदा करेया किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करेया 8[सरकारके धन-सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या 8[सरकारके धन सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाएअधिप्रमाणीकॄत करे या रखेया 8[सरकार] 3।।। धन-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके ;
10- हर ऑफिसरजिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्रामनगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करेप्राप्त करेरखे या व्यय करेकोई सर्वेक्षण या निर्धारण करेया कोई रेट या कर उद्गॄहीत करेया किसी ग्रामनगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाएअधिप्रमाणीकॄत करे या रखे ;
11- हर व्यक्ति जो कोई ऐसे पद धारण कर्ता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करनेप्रकाशित करनेबनाए रखनेया पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के लिए भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो;
12 - हर व्यक्तिजो - (सरकार की सेवा या वेतन में होया किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो ;
(स्थानीय प्राधिकारी कीअथवा केन्द्रप्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी कीसेवा या वेतन में हो ।
दृष्टांत:
नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है ।
स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैंचाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं ।
स्पष्टीकरण 2 - जहाँ कहीं “लोक सेवक” शब्द आएँ हैंवे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जाएँगे जो लोक सेवक के पद को वास्तव में धारण किए हुए होंचाहे उस पद को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो ।
स्पष्टीकरण 3 - “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधायीनगरपालिक या अन्य लोक प्राधिकारी के नातेचाहे वह कैसे ही स्वरूप का होसदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का द्योतक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में विहित की गई हो ।

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👉घर में काम करने वाली पत्नियों की कीमत कामकाजी पतियों से बिल्कुल भी कम नहीं है। - सुप्रीम कोर्ट

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धारा 22-जंगम सम्पत्ति
जंगम सम्पत्ति” शब्दों से यह आशयित है कि इनके अन्तर्गत हर भाँति की मूर्त सम्पत्ति आती हैकिन्तु भूमि और वे चीजेंजो भू-बद्ध हों या भू-बद्ध किसी चीज से स्थायी रूप से जकड़ी हुई होंइनके अन्तर्गत नहीं आता ।

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