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पुलिस कस्टडी और ज्यूडिशियल कस्टडी में क्या अंतर होता है?

पुलिस कस्टडी और ज्यूडिशियल कस्टडी में क्या अंतर होता है ? #1 पुलिस कस्टडी तथा ज्यूडिशियल कस्टडी दोनों में संदिग्ध व्यक्ति को कानून की हिरासत में रखा जाता है.   इन दोनों का एक ही उद्येश्य है समाज में अपराध को कम करना.  आइये जानते हैं कि इन दोनों शब्दों में क्या अंतर है.       किसी आरोपी व्यक्ति को पुलिस कस्टडी और ज्यूडिशियल कस्टडी में भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता ( CRPC) के नियमों के हिसाब से रखा जाता है. पुलिस कस्टडी तथा ज्यूडिशियल कस्टडी दोनों में संदिग्ध को कानून की हिरासत में रखा जाता है. दोनों प्रकार की कस्टडी का उद्येश्य व्यक्ति को अपराध करने से रोकना होता है. जब भी पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में लेती है तो वह अपने जांच को आगे बढ़ाने के लिए  CrPC की धारा 167 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट से 15 दिन तक के लिए हिरासत में रखने का समय मांग   सकती है. एक न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी भी व्यक्ति को 15 दिनों तक किसी भी तरह के हिरासत में भेज सकता है. लेकिन कुछ ऐसे कानून होते हैं जिनके तहत पुलिस किसी आरोपी को 30 दिनों तक भी पुलिस कस्टडी में रख स...

क्या है IPC और CrPC में अंतर, कब बना था ये कानून ?

क्या है IPC और CrPC में अंतर,  कब बना था  ये कानून ? #1 IPC और CrPC. इनमें तय किया जाता है कि, किन प्रक्रियाओं के तहत अपराधी को गिरफ्तार किया जाए.  जानते हैं पूरी जानकारी----- IPC यानी इंडियन पेनल कोड जिसे हिंदी में भारतीय दंड संहिता   कहते हैं. IPC में कुल मिलाकर 511 धाराएं( Sections) और 23 chapters हैं. 1834 में पहला विधि आयोग (first law of commission) बनाया गया था. इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व का सबसे बड़ा दांडिक संग्रह (IPC) से बड़ा देश में और कोई भी दांडिक कानून नहीं है.   #2 क्या है CrPC------ CrPC की  इंग्लिश में 'कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर' और हिंदी में 'दण्ड प्रक्रिया संहिता' कहते है.  इसका कानून  1973 में पारित हुआ और 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था. जब भी कोई अपराध होता है उसमें दो तरह की प्रक्रिया होती है. पहली पुलिस किसी अपराधी की जांच करने के लिए अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है. -----------------------------------------------...

किसी आरोपी का केस अगर पेंडिंग होता है तो कोर्ट उसे CRPC के Provision के तहत जमानत देती है //धारा 438 -दण्ड प्रक्रिया संहिता(CRPC)

किसी आरोपी का केस अगर पेंडिंग होता है तो कोर्ट उसे CRPC के Provision के तहत जमानत देती है   ------- #1  किसी आरोपी का केस अगर पेंडिंग होता है तो कोर्ट उसे सीआरपीसी के Provision के तहत जमानत देती है लेकिन इसके लिए कई बार जमानती लाने को कहा जाता है। जमानती का रोल अहम होता है , साथ ही उसकी जिम्मेदारियां भी अहम होती हैं।   आइए जानें कि जमानती की जिम्मेदारी क्या हैं #2 सीआरपीसी की धारा - 436, 437 और 438 के तहत जमानत दिए जाने का प्रावधान है। अदालत जब किसी आरोपी को जमानत देती है , तो personal bond के अलावा जमानती पेश करने के लिए कहा जा सकता है।                  कई बार बैंक लोन देते वक्त गारंटर मांगता है और गारंटर को गारंटी देनी होती है कि अगर लोन लेने वाले शख्स ने लोन नहीं चुकाया तो जिम्मेदारी उसकी होगी। लोन न चुकाने पर गारंटर को लोन की रकम चुकानी पड़ती है। क्रिमिनल केस में भ...