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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

CrPC  482 के तहत शक्ति आपराधिक कार्यवाही को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल हो सकती है जो मंजूरी,तुच्छ मामलों या अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए पहली नजर में बुरी है : सुप्रीम कोर्ट

CrPC  482 के तहत शक्ति आपराधिक कार्यवाही को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल हो सकती है जो मंजूरी , तुच्छ मामलों या अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए पहली नजर में बुरी है : सुप्रीम कोर्ट .................... #1 Power U/s 482 CrPC Can Be Exercised To Quash Criminal Proceedings Which Are Ex Facie Bad For Want Of Sanction:                सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत शक्ति का इस्तेमाल उस आपराधिक कार्यवाही को समाप्त करने के लिए किया जा सकता है , जो मंजूरी , तुच्छ मामलों या अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए पहली नजर में बुरी है। इस मामले में , शिकायतकर्ता ने एक अपराध के संबंध में जांच के दौरान , हिरासत में रहने के दौरान पुलिस ज्यादती का आरोप लगाया। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के निजी शिकायत का संज्ञान लेने के आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी ( सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक याचिका दायर करके आरोप लगाया गया था कि आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा ...

महिला की गिरफ़्तारी को लेकर क़ानून

#1 ⇛ महिला की गिरफ़्तारी को लेकर क्या कहता है क़ानून -------    "बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जिसमें महिला को गिरफ़्तार करने के बाद उनके साथ यौन हिंसा और प्रताड़ना की बात सामने आई, इन्हीं सारे मामलों को देखते हुए क़ानून बनाया गया कि मामला चाहे जो भी किसी भी महिला को शाम छह बजे के बाद और सुबह छह बजे के पहले गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता." "उसे हाउस-अरेस्ट किया जा सकता है और वो भी महिला पुलिस द्वारा ही. लेकिन किसी भी सूरत में दिन ढलने के बाद उसकी गिरफ्तारी ग़ैर-काननी है."   सिर्फ़ महिलाओं के लिए नहीं, हर गिरफ़्तारी के कुछ तय नियम हैं. "बात महिला ओं की गिरफ़्तारी की करें तो सबसे अहम है कि उनकी गिरफ़्तारी दिन ढलने के बाद नहीं हो सकती. ना ही उन्हें दिन ढलने के बाद पुलिस स्टेशन बुलाया जा सकता है. ---------------------------------------------------------------------------------     READ MORE ------------   yrkknowledge.com -------------------------------------------------------------------------------- #2 क़ानूनी प्रावधान----- ⇨    ...

अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से कर रही हो गिरफ्तार, तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार

अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से कर रही हो गिरफ्तार, तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार  ----     #1      अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान (Constitution)के अनुच्छेद (Article) 20, 21और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे Supreme Court जा सकता है. - --------------------------------------------------------------------------------  READ MORE ................... 👉 अब घर खरीदार ,रियल इस्टेट (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 2016 (रेरा )के साथ Consumer Forum.भी जा सकता है, 👉 घर में काम करने वाली पत्नियों की कीमत कामकाजी पतियों से बिल्कुल भी कम नहीं है। - सुप्रीम कोर्ट ---------------------------------------------------------------------------------   #2 पुलिस गिरफ्तारी से संबंधित कानूनों का विस्तार  ---- 1. CRPC की धारा 50...

पिता की मृत्यु के बाद भाइयों के बीच संपत्ति विभाजन

पिता की मृत्यु के बाद भाइयों के बीच  संपत्ति विभाजन का मुद्दा एक वसीयत  के तहत विरासत-------   #1 • एक वसीयत या वसीयतनामा एक व्यक्ति की इच्छाओं  को व्यक्त करते हुए एक कानूनी घोषणा है, जिसमें एक  या अधिक व्यक्तियों के नाम शामिल हैं जो वसीयत   कर्ता की संपत्ति का प्रबंधन कर रहे हैं और मृत्यु पर  मृतक की संपत्ति का हस्तांतरण प्रदान करते हैं। • यदि एक पिता (टेस्टेटर) वसीयत पीछे छोड़ देता है,  तो संपत्ति भाइयों के बीच वितरित की जाएगी। एक  निष्पादक को वसीयत कर्ता द्वारा नियुक्त किया जाता है,  जो कि अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक से अलग माना  जाता है। • व्यक्तिगत कानून के अनुसार विरासत भारत में विरासत और जिस तरीके से मृत व्यक्ति की  संपत्ति को वितरित किया जाना है, वह उत्तराधिकार के  कानून द्वारा निर्धारित किया जाता है, जहां ऐसे व्यक्ति   मृत व्यक्ति के इरादे की घोषणा करने वाले समकक्ष  दस्तावेज नहीं होते हैं। #2 • हिंदू कानून के तहत • हिंदू उत्तराधिकारअधिनियम, 1956 की धारा 8 और 9  हिंदू...

नज़रबंदी या हाउस अरेस्ट किसे कहते हैं और क्या हैं कानूनी अधिकार है ?

नज़रबंदी  या  हाउस अरेस्ट  किसे कहते हैं और   क्या हैं   कानूनी अधिकार है? #1 जब सरकार या कोर्ट की नजर में कोई व्यक्ति किसी तरह की अव्यवस्था फैला सकता है या कोई और अराजक स्थिति पैदा कर सकता है तो ऐसी स्थिति में सरकार उस व्यक्ति को हाउस अरेस्ट कर सकती है. इसके अलावा जब किसी व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में कार्यवाही अंडर ट्रायल होती है और उस व्यक्ति को जेल ना भेजकर उसके घर में ही नजरबन्द रखा जाता है तो ऐसी स्थिति को हाउस अरेस्ट या नज़रबंदी कहा जाता है.   #2 अरेस्ट वॉरंट या गिरफ़्तारी के आदेश------------ किसी अभियुक्त को गिरफ्तार करने के लिए कोर्ट अरेस्ट वॉरंट यानि गिरफ्तारी का आदेश जारी करता है. अरेस्ट वॉरंट के तहत संपत्ति की तलाशी ली जा सकती है और उसे जब्त भी किया जा सकता है. अपराध की प्रकृति के आधार पर अरेस्ट वॉरंट की प्रकृति भी निर्भर करती है. अरेस्ट वॉरंट जमानती और गैर-जमानती हो सकता है. संज्ञेय अपराध की स्थिति में पुलिस अभियुक्त को बिना अरेस्ट वॉरंट के गिरफ़्तार कर सकती है.   #3 सर्च वॉरंट----------- सर्च वॉरंट वह कानूनी अधिकार है जि...

हर भारतीय महिला को पता होने चाहिए कानूनी अधिकार

हर भारतीय महिला को पता होने चाहिए ये 10 कानूनी अधिकार----- जैसे-जैसे समय बदल रहा है कानूनी मामलों में भी महिलाओं को अपनी स्थिति के बारे में जागरुक होना चाहिए.  हमारे संविधान ने हमें जो अधिकार और अवसर दिए हैं उन्हें भी प्रमुखता मिल रही है. आज महिलाएं भी मेहनत कर रही हैं और अपने करियर को लेकर गंभीर हैं.  ऐसे में महिलाओं को भी भारतीय कानून द्वारा दिए गए अधिकारों के प्रति जागरुकता होनी चाहिए.   #1. समान वेतन का अधिकार- समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता.   #2. काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार- काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है. ------------------------------------------------------------------------------ READ MORE ---- 👉 Notary अधिनियम के बारे में जानकारी Notary क्या होता है ? नोटरी के कार्य (Notary Work), नियम, अधिनियम. 👉 स्टाम्प ड्यूटी क्या है? स्टाम्प ड्यूटी देना क्यों आवश्यक है? स्टाम्प ड्यू...