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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट /

  प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट / #1 बेटों को मिली प्राॅपर्टी ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी, छोटे सदस्यों की सहमति के बिना एग्रीमेंट मान्य नहीं                          55 साल पुराना भूमि विवाद निपटाते हुए सुप्रीम काेर्ट ने एक अहम व्यवस्था दी है। काेर्ट ने कहा कि पिता से बेटों को मिली प्राॅपर्टी, उनकी निजी प्राॅपर्टी नहीं, बल्कि ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी होगी। घर के बड़े सदस्यों द्वारा अपनी संतान की सहमति के बिना इस प्राॅपर्टी काे लेकर किया गया एग्रीमेंट मान्य नहीं होगा। जस्टिस की बेंच ने डोडा मुनियप्पा बनाम मुनिस्वामी व अन्य केस में दायर याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।    -------------------------------------------------------------------------------- READ MORE ------ 👉 गलती से हुआ अपराध की सजा - धारा 76 एवं 79 भारतीय दंड संहिता 👉 धारा 420(आईपीसी)-छल करना ...

तलाक की डिक्री कब और कैसे मिलती है ? पारस्परिक सहमति से विवाह विच्छेद

  How to Get Decree of Divorce in India  भारत में तलाक की डिक्री कब और कैसे मिलती है #1                 विवाह विच्छेद के लिए तलाक की डिक्री (Decree of Divorce) प्राप्त करने के लिए विवाह के पश्चात न्यायालय में कब याचिका पेश की जाती है? क्या निर्धारित समय के पहले भी ऐसी याचिका पेश की जा सकती है ?  इन्ही सब सवालो के जवाब मिलेंगे। #2                     हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 14 (Hindu Marriage Act 1976) के अनुसार विवाह की तिथि से 1 वर्ष के भीतर विवाह विच्छेद यानि की तलाक ये डाइवोर्स के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नहीं की जा सकती है। पहले में यह अवधि 3 वर्ष की थी। परंतु 1976 में लाए गए संशोधन के अनुसार इस अवधि को 1 वर्ष कर दिया गया है। -------------------------------------------------------------------------------- READ MORE ----- 👉 पिता की संपत्ति में आपका अधिकार //हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 👉 CrPC  482 के तहत शक्ति आपरा...

नागरिको की जमीन पर पूर्ण स्वामित्व की अनुमति नहीं दी जा सकती Supreme Court Judgment

 प्रतिकूल कब्जे के जरिये सरकार को नागरिको की जमीन पर पूर्ण स्वामित्व की अनुमति नहीं दी जा सकती Supreme Court Judgment on Adverse Possession Against Govt            #1         उच्चतम न्यायालय (SC) ने एक बार फिर (एडवर्स पजेशन) Adverse Possession  जिसे प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है, के ऊपर फैसला सुनते हुए हिमाचल प्रदेश की एक 80-वर्षीया निरक्षर विधवा को राहत प्रदान की है, यह फैसला राज्य सरकार के खिलाफ थी जिसकी जमीन राज्य सरकार ने 1967-68 में सड़क निर्माण के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाये बिना जबरन ले ली थी।           #2            न्यायमूर्ति की पीठ ने व्यवस्था दी कि सरकार नागरिकों से हड़पी जमीन पर पूर्ण स्वामित्व के लिए प्रतिकूल कब्जे (एडवर्स पजेशन, Adverse Possession) के सिद्धांत का इस्तेमाल नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया अपनाये बगैर निजी सम्पत्ति से किसी को जबरन बेदखल करना उसके मानवाधिकार तथा संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत उसके संवैधानिक अधिकार का उल्लं...