हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से पहले और बाद में हिंदू का वसीयत करने का अधिकार ----- #1 अशोक किनीएलआरएस द्वारा वी कल्याणस्वामी (डी) बनाम एलआरएस द्वारा एल भक्तवत्सलम (डी) मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला वसीयत के निष्पादन से जुड़े कानूनी सिद्धांतों की विस्तृत चर्चा करता है। यह माना जाता है कि , ऐसी स्थिति में , जब वसीयत के दोनों उपस्थित गवाह मर चुके हों , तब यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि कम से कम एक उपस्थित गवाह का सत्यापन उसका लिखावट में हो। जब दोनों उपस्थित गवाहों की मृत्यु हो चुकी हो , तो यह माना जाता है कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 63 के तहत आवश्यक रूप से सत्यापन की आवश्यकता नहीं है , बरअक्स कि दोनों गवाहों द्वारा सत्यापन को प्रमाणित किया जाए।फैसले की इस पहलू का पहले ही एक रिपोर्ट में निस्तारण किया जा चुका है। उन तथ्यों को यहां पढ़ा जा सकता है। मौजूदा वसीयत 10.05.1955 को लागू की गई थी , यानी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम , 1956 लागू होने से पहले। हालांकि , सुप्रीम कोर्ट ...
YRK Knowledge where you will get all type of legal knowledge.