सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Notary अधिनियम के बारे में जानकारी Notary क्या होता है ? नोटरी के कार्य (Notary Work), नियम, अधिनियम.

 

NOTARY :-

 नोटरी के लिए

पात्रता मापदंड 

 (Notary Eligibility Requirements )  #1

नोटरी बनने के लिए कुछ आधारभूत पात्रता मापदंड को पूरा करना आवश्यक है, जो इस प्रकार है-

·         नोटरी बनने के लिए आवेदक कि आयु कम से कम 18 साल का होना आवश्यक है |

·         नोटरी बननें हेतु आप उसी राज्य में आवेदन कर सकते हैं जिस राज्य में आप निवास करते हो |

·         नोटरी सेवा में शामिल करनें के लिए सबसे अहम् शर्त यह होती है, कि आपके ऊपर किसी भी प्रकार की गुंडागर्दी या फिर कानूनी दोष ना हो |

·         नोटरी बनने से पहले आपके अतीत को भी खंगाल कर देखा जाता है कि आपको किसी नोटरी कमीशन द्वारा कोई रद्द किए जाने का सर्टिफिकेट ना मिला हो |

>नोटप्रत्येक राज्य में नोटरी बनने के दिशा-निर्देश अलग-अलग हो सकते हैं

  #2

नोटरी क्या होता है (What Is Notary) 

            ,नोटरी जिसे केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नोटरी एक्ट 1952 के तहत नियुक्त किया जाता है | और इनके पास कुछ विशिष्ट कार्यों और कुछ अन्य कानूनी औपचारिकताओं की भी पूर्ति करनें का अधिकार होता है | केंद्र सरकार द्वारा एक नोटरी की नियुक्ति देश के किसी भी स्थान पर कर सकती है, जबकि राज्य सरकार अपनें राज्य में किसी भी जगह नोटरी को नियुक्त कर सकती है |

#3

नोटरी के कार्य (Notary Work)

     👉👉👉     नोटरी के कार्यों के अंतर्गत किसी भी प्रकार के दस्तावेज को सत्यापित करना,प्रमाणित करना होता है | इनमें ऐसे दस्तावेज भी शामिल है, जिनमें कुछ संशोधन किया गया हो, निरस्त किया गया हो, ट्रान्सफर किया गया हो आदि | 

     👉👉👉  दस्तावेजो को सत्यापित करनें का मतलब यह है, कि नोटरी द्वारा उस दस्तावेज को सबूतों और तथ्यों के आधार पर जांच कि गयी है | जबकि प्रमाणित करने का मतलब यह है कि किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करनें वाले व्यक्ति नें नोटरी के समक्ष ही हस्ताक्षर किया है, जिसकी वह पुष्टि करता है | 

      👉👉👉नोटरी के कार्यों के अंतर्गत शपथ पत्र, हलफनामा बनाना आदि |

    👉👉👉    किसी भी डाक्यूमेंट्स की भाषा को दूसरी भाषा में संशोधित कर उसे वेरीफाई करना |

  👉👉👉किसी भी आपराधिक मुकदमें के लिए न्यायालय के निर्देशानुसार सबूत रिकॉर्ड करने हेतु कार्य करना |

  👉👉👉आवश्यकता पड़ने पर मध्यस्थता के रूप में कार्य किसी करना |

  ****************************************

READ MORE --

👉स्टाम्प ड्यूटी क्या है? स्टाम्प ड्यूटी देना क्यों आवश्यक है? स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान गिफ्ट की गई संपत्ति के स्वामित्व के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

👉नॉमिनी कहां-कहां जरूरी है? कौन हो सकता है? क्यों जरूरी है नॉमिनी? जानें इसे बनाने के नियम और अधिकार

 ****************************************      #4   

                           (Notary Act 1952)

 नोटरी अधिनियम1952 से सम्बंधित जानकारी 

नोटरी अधिनियम 1952 में 16 सेक्शन है, जो इस प्रकार है-

👉धारा (Section) 1- लघु शीर्षक, सीमा और प्रारंभ 

     नोटरी अधिनियम 1952 में धारा 1 के अंतर्गत, यह भारत के सभी राज्यों में है तथा केंद्र सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियुक्त कर सकती है |

👉(Section) 2- परिभाषाएं

धारा 2(D) के अनुसार, नोटरी का मतलब इस अधिनियम के तहत नियुक्त व्यक्ति से है |

👉(Section) 3- नोटरी नियुक्त करनें कि शक्ति

इस सेक्शन के अंतर्गत केंद्र सरकार भारत के पूरे हिस्से के लिए नोटरी और कानूनी व्यक्तियों के रूप में हो सकती है, जिनके पास कानूनी योग्यता हो |

  👉 (Section) 4- रजिस्टर्स

1.  धारा 4 रजिस्टर्स से सम्बंधित है, इस धारा के अंतर्गत प्रत्येक रजिस्टर में नोटरी के बारें में विवरण शामिल होंगे जिसका नाम उसमें दर्ज किया गया है अर्थात,

2.  उसका पूरा नाम, जन्मतिथि, आवासी और व्यवसायी पता,

3.  जिस तारीख में उसका नाम रजिस्टर में दर्ज किया गया है,

4.  उसकी योग्यता,

5.   कोई अन्य विवरण जो निर्धारित किया जा सकता है |

 

👉 (Section) 5- रजिस्टर में नामों कि प्रविष्टि अभ्यास के प्रमाण पत्र जारी या नवीनीकरण

       इसमें नोटरी कि नियुक्ति करनें वाली सरकार, आवेदन कि प्राप्ति और निर्धारित शुल्क पर, एक समय में 5 वर्ष तक कि अवधि के लिए किसी भी नोटरी के अभ्यास प्रमाण पत्र को नवीनीकृत कर सकती है |

  👉(Section) 6- नोटरी की सूचियों का वार्षिक प्रकाशन

          केंद्र सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष जनवरी माह के दौरान सरकारी राजपत्र में उस सरकार द्वारा नियुक्त नोटरी कि एक सूची और उस वर्ष कि शुरुआत के अभ्यास में उसके साथ सम्बंधित विवरण के साथ प्रकाशित करना निर्धारित होगा |

 👉(Section) 7- नोटरी कि मुहर

यह सेक्शन नोटरी कि मुहर से सम्बंधित है |

👉 (Section) 8- नोटरी के कार्य

1. एक नोटरी अपनें कार्याला के आधार पर कोई भी कार्य कर सकता है अर्थात,

1(A). किस भी उपकरण के निष्पादन को सत्यापित, प्रमाणित करे |

1(B).स्वीकृति या भुगतान के लिए किसी भी प्रोमिसरी

>नोट, हुंडी या बिल ऑफ़ एक्सचेंज स्वीकार करे |

1(C). Negotiable Instrument Act के अनुसार प्रोमिसरी नोट, हुंडी या बिल ऑफ़ एक्सचेंज स्वीकार करे |

1(D). किसी भी व्यक्ति से शपथ या हलफनामा लेना |

1(E). उत्तरदायित्व बांड, चार्टर पार्टियाँ और अन्य व्यापारिक दस्तावेज तैयार करना |

1(F). भारत के बाहर किसी भी देश या स्थान पर प्रभाव डालनें के इरादे से किसी भी उपकरण को तैयार, प्रमाणीकृत करे जहाँ इस तरह के कार्य को संचालित करनें का हकदार है |

1(G). किस भी दस्तावेज को किसी भी भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद कर उसका सत्यापन करना |

2.उपधारा(1)- इसमें निर्दिष्ट कोई भी कार्य एक नोटरी अधिनियम माना जायेगा, जब उसे नोटरी द्वारा उसके हस्ताक्षर और अधिकारिक मुहर के तहत किया जाता है |

👉 (Section) 9-प्रमाणपत्र के बिना अभ्यास

इस खंड में प्रावधानों के अधीन कोई भी व्यक्ति नोटरी के रूप में अभ्यास नहीं करेगा जब तक कि वह धारा 5 के तहत जारी किये गये अभ्यास का प्रमाण पत्र रखे |

👉 (Section) 10- रजिस्टर से नामों का हटाया जाना

किस भी नोटरी को नियुक्त करनें वाली सरकार धारा 4 के तहत नोटरी के नाम से बनाये गये रजिस्टर से हटा सकती है यदि वह,

(A). उस प्रभाव का अनुरोध करता है या,

(B). उसके द्वारा भुगतान किये जानें वाले किस भी निर्धारित शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है, या

(C). दिवालिया है, या

(D). सरकार कि रे में इस तरह के पेशेवर या अन्य दुर्व्यवहार के दोषी होनें के पर पाया गया है या,

(E). नैतिक अशांति से जुड़े किसी अपराध के लिए किसी भी अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है, या

(F).  अभ्यास का अपना प्रमाणपत्र नवीनीकृत नहीं करता है |

 

👉(Section) 11- अन्य कानूनों में नोटरी के संदर्भो का निर्माण

किसी अन्य कानून में किस नोटरी पब्लिक का कोई भी सन्दर्भ इस अधिनियम के तहत अभ्यास करनें का हकदार नोटरी के सन्दर्भ में समझा जायेगा |

👉 (Section) 12- 

झूठी रूप से एक नोटरी, आदि के प्रतिनिधित्व के लिए जुर्माना कोई भी व्यक्ति हो जो-

(A). जो झूठा प्रतिनिधित्व करता है कि वह इस तरह कि नियुक्ति किये बिना नोटरी है, या

(B).नोटरी के रूप में प्रथाओं या धारा 9 के उल्लंघन में कोई भी नोटरी अधिनियम, एक अवधि के लिए कारावास के साथ दंडनीय होगा जो 7 वर्ष तक बढाया जा सकता है |

 

👉(Section) 13-अपराधों का संज्ञान

प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आलावा कोई भी मजिस्ट्रेट इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध का प्रयास नहीं कर सकता है|

 

👉(Section) 14- विदेशी नोटरियों द्वारा किये गये नोटरी कृत्यों कि मान्यता के लिए पारस्परिक व्यवस्था

          यदि केंद्र सरकार संतुष्ट है कि वह भारत के बाहर किसी भी देश या कानून भारत के अन्दर नोटरी द्वारा किये गये कृत्यों का उस देश या स्थान के किसी भी सीमित उद्देश्यों के लिए मान्यता प्राप्त है, तो केंद्र सरकार अधिसूचना द्वारा घोषणा करते है,

👉(Section) 15-नियम बनानें कि शक्ति

1.इसमें केंद्र सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों को पूरा करने के लिए नियम बना सकती है |

(A). एक नोटरी, फार्म और तरीके कि योग्यता जिसमें नोटरी के रूप में नियुक्ति के लिए आवेदन किये जा सकते है औए ऐसे अनुप्रयोगों का निपटन किया जा सकता है |

(B). नोटरी के रूप में नियुक्ति के लिए देय शुल्क और अभ्यास के प्रमाण पत्र के नवीनीकरण, अभ्यास के क्षेत्र में वृद्धि और छूट या पूरी तरह से, मामलो के निर्दिष्ट वर्गों में ऐसी फीस से,

(C). किस भी नोटरी अधिनियम के लिए नोटरी देय शुल्क,

(D). रजिस्टरों का रूप और उसमें प्रदेश का विवरण,

(E). एक नोटरी कि मुहर के रूप और डिज़ाइन,

(F). धारा 8 में उल्लखित कार्यों के आलावा नोटरी जो कर सकता है और जिस तरीके से नोटरी नोटरी अपने कार्यों को कर सकता है |

&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से कर रही हो गिरफ्तार, तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार

अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से कर रही हो गिरफ्तार, तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार  ----     #1      अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान (Constitution)के अनुच्छेद (Article) 20, 21और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे Supreme Court जा सकता है. - --------------------------------------------------------------------------------  READ MORE ................... 👉 अब घर खरीदार ,रियल इस्टेट (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 2016 (रेरा )के साथ Consumer Forum.भी जा सकता है, 👉 घर में काम करने वाली पत्नियों की कीमत कामकाजी पतियों से बिल्कुल भी कम नहीं है। - सुप्रीम कोर्ट ---------------------------------------------------------------------------------   #2 पुलिस गिरफ्तारी से संबंधित कानूनों का विस्तार  ---- 1. CRPC की धारा 50...

प्रॉपर्टी के वारिस लोग नहीं बन सकते

प्रॉपर्टी के वारिस लोग नहीं बन सकते।   @   हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 :                 @ हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में एेसी कई स्थितियां हैं , जिसके तहत किसी शख्स को वसीयत पाने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है , या वह उसके लिए पहली पसंद नहीं होता। आइए आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं जो कानून के मुताबिक प्रॉपर्टी के वारिस नहीं हो सकते। @सौतेला : जिस शख्स से प्रॉपर्टी पाने की उम्मीद है , अगर उससे रिश्ता वही रहता है तो जैविक संतान को प्राथमिकता दी जाती है। सौतेले वह बच्चे होते हैं , जिसके मां या बाप ने दूसरी शादी की है। एेसे मामलों में , पिता के जैविक बच्चों ( पिछली पत्नी से ) का प्रॉपर्टी पर पहला अधिकार होता है। संक्षेप में कहें तो जैविक बच्चों का अधिकार सौतेले बच्चों से ज्यादा होता है। @एक साथ मौत के मामले में : यह पूर्वानुमान पर आधारित है। अगर दो लोग मारे गए है...

major landmark judgments: of the Constitution of India

India's Constitution has been shaped by numerous landmark judgments over the years. Some of these rulings have significantly impacted the legal landscape of the country, interpreting and expanding the rights and provisions enshrined in the Constitution. Here are a few major landmark judgments: 1. Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973): This case is one of the most important constitutional rulings in India. The Supreme Court held that Parliament cannot amend the "basic structure" of the Constitution. This judgment established the doctrine of the "Basic Structure," which means that certain fundamental aspects of the Constitution cannot be altered by any amendment. 2. Maneka Gandhi v. Union of India (1978): This judgment expanded the interpretation of Article 21 (Right to Life and Personal Liberty). The Supreme Court held that the right to life and personal liberty includes the right to live with dignity and that any law affecting this right must be "re...