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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में कुछ बदलाव (कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट)

#1
अब ग्राहकों को ठगना होगा मुश्किल, बढ़ा चढ़ा कर विज्ञापन देने वाले जाएंगे जेल---------------------

          उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में कुछ बदलाव हुए हैं और नया कानून लागू हो रहा है। इसमें ग्राहकों को पहले से अधिक अधिकार देकर और ताकतवर बनाया जा रहा है।

#2  
         सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के कई प्रावधानों के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया है। सबसे बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने वालों की खैर नहीं। अगर गलत पाए गए तो उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं, नए नियमों के तहत एक बड़ी राहत ये मिल रही है कि ग्राहक अब वहां से शिकायत दाखिल कर सकेगा, जहां वह रहता है, ना कि उसे वहां जाना जरूरी होगा, जहां से कोई सामान खरीदा है। ये नया कानून 34 साल पुराने 1986 के कानून की जगह लेगा। खुद केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री इस बारे में  सूचना दे चुके हैं।
   
#3
       इस नए उपभोक्ता कानून को 9 अगस्त 2019 को ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से हरी झंडी मिल गई थी, जो अब से लागू होगा। नए प्रावधानों के तहत अगर कोई manufacture या सेलर एडल्टरेटेड प्रोडक्ट में डील करता है तो ग्राहक उसे कोर्ट में घसीट सकता है। वह उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर के मुआवजे की मांग भी कर सकता है। कोर्ट की तरफ से ऐसे manufacturer या सेलर पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और 6 महीने तक की जेल भी होसकती है।

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#4

उपभोक्ता संरक्षण कानून देता है ये 6 अधिकार
1- सुरक्षा का अधिकार- इसके तहत ग्राहक को किसी गुड्स या सर्विस की मार्केटिंग से जीवन या प्रॉपर्टी के नुकसान से बचाया जाता है।
2- सूचना का अधिकार- ग्राहक को पूरा अधिकार है कि उसे प्रोडक्ट की क्वालिटी, उसकी मात्रा, शुद्धता, कीमत आदि के बारे में सही जानकारी दी जाए।
3- छांटने का अधिकार- इसके तहत ग्राहक को गुड्स और सर्विसेस की कई वैरायटी उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि वह अपने अनुकूल गुड्स या सर्विस को छांट सके।
4- सुने जाने का अधिकार- ग्राहक को सुने जाने का पूरा अधिकार है। उसे किसी तरह की दिक्कत होने पर फोरम में उसकी शिकायत को सुना जाएगा।
5- किसी भी गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने का भी ग्राहक को अधिकार है, ताकि उसका शोषण ना हो।
6- कंज्यूमर एजुकेशन का अधिकार - यानी एक ग्राहक अपनी पूरी जिंदगी एक पूरी जानकारी रखने वाला ग्राहक रहेगा, जिससे वह शोषण से बचा रहेगा।
#5
क्या कहना है ASCI का?
विज्ञापनों की प्रमाणिकता की जांच करने वाली संस्था 'ऐडवर्टाइजिंग स्‍टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) का स्वागत किया है। ASCI ने उम्मीद जताई है कि नए अधिनियम से भ्रामक विज्ञापनों पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा, जो दिनों काफी छाये हुए हैं। ASCI ने कहा कि इसकी भूमिका सरकार की पूरक होगी और जिम्मेदार विज्ञापनों को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
'ऐडवर्टाइजिंग स्‍टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' के चेयरमैन का कहना है, ’20 जुलाई 2020 से अस्तित्व में आने वाले कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का ASCI स्वागत करती है। विज्ञापन के स्व-नियामक निकाय के रूप में हमारे प्रयास, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भी हैं। हमें उम्मीद है कि इस एक्ट से भ्रामक विज्ञापनों के नियंत्रण की दिशा में काफी प्रभाव पड़ेगा।

#6  
        इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘प्रिंट और टीवी पर निगरानी के अलावा हम जल्द ही डिजिटल मीडिया पर दिखने वाले संभावित भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी शुरू करेंगे। इस नए अधिनियम के तहत कंज्यूमर्स अपनी शिकायतों को उस जिला अथवा राज्य उपभोक्ता आयुक्त के यहां दर्ज करा सकते हैं, जहां वे रहते हैं, बजाय इसके कि जहां से उन्होंने उपरोक्त प्रॉडक्ट/सर्विस खरीदा था।

#7
कब बना था पहला उपभोक्ता कानून
          देशभर की उपभोक्ता अदालतों में लंबित मामलों को हल करने के लिए भी इस अधिनियम को बनाया गया था। नए कानून में उपभोक्ता शिकायतों को तेजी से हल करने के तरीके और साधन दोनों का प्रावधान किया गया है। 24 दिसंबर 1986 को देश में पहला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बना था।
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