निःशुल्क कानूनी सहायता-
विधिक सेवाएँ प्राधिकरण अधिनियम,1987 के अंतर्गत सभी प्रकार के दीवानी और फौजदारी मुकदमों के लिए दी जाने वाली सलाह एवं सहायता निःशुल्क
कानूनी सहायता कहलाती है।
कानूनी सलाह सभी स्तर के व्यक्ति प्राप्त कर सकतें हैं और विधिक सेवाएँं प्राधिकरण
अधिनियम के अनुसार योग्य व्यक्ति ही मुफ्त कानूनी सहायता सेवाएं प्राप्त कर सकतें हैं विधिक
सेवाएँ ं प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार निम्नलिखित योग्य व्यक्ति ही मुफ्त कानूनी सहायता सेवाएँ प्राप्त
कर सकतें हैं –
ए)अनुसूचित
जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य।
बी)मानव
व्यापार या बेगार का शिकार व्यक्ति।
सी)स्त्री या
बालक।
डी)शारीरिक
या मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति।
ई)विनाशकारी प्राकृतिक आपदा, साम्प्रदायिक
दंगे,
जातीय
अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप, या
औद्योगिक
संकट से प्रभावित व्यक्ति।
एफ) औद्योगिक
कर्मी।
जी)जेल
या संरक्षण गृह या नारी निकेतन या मनोचिकित्सालय
में
अभिरक्षित (कस्टडी) व्यक्ति।
एच)
प्रत्येक व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 1,00,000 रू. से
कम है।
ए) किन्नर जिनकी वार्षिक आय 2,00,000 रू. से कम है।
बी)वरिष्ठ नागरिक जिनकी वार्षिक आय 2,00,000 रू. से
कम है।
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#2
कानूनी सेवाएं निम्नलिखित स्थितियों में वापिस ली जा सकती हैं-
· जब सहायता प्राप्त व्यक्ति के पास पर्याप्त स्ांसाधन हो।
· जब सहायता
प्राप्त व्यक्ति विधिक सेवाएँ प्राधिकरण/समिति के साथ अथवा विधिक सेवाएँ अधिवक्ता के साथ सहयोग न कर रहा हो।
· जब व्यक्ति ने विधिक सेवाएं प्राधिकरण/समिति के द्वारा
नियुक्त अधिवक्ता के अतिरिक्त अन्य विधि व्यवसायी को भी यह कार्य सौंपा हो।
· जहां कानूनी सहायता के लिए प्राप्त प्रार्थना पत्र में कानून का दुरूपयोग होना पाया जाए।
#3
जांच एवं मूल्यांकन समिति कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए
दिए गए प्रार्थना-पत्र का मूल्यांकन करती है और नालसा (मुफ्त एवं सक्षम विधिक
सेवाएँ) के अधिनियम के अंतर्गत यह भी निर्णय करती है कि क्या प्रार्थीं कानूनी
सहायता प्राप्त करने के योग्य भी है या नहीं।
कानूनी
सेवाएँ न मिलने की स्थिति में अपील प्राधिकरण/समिति के अध्यक्ष अथवा राज्य विधिक
सेवाएँ प्राधिकरण के माननीय कार्यकारी अध्यक्ष के समक्ष दायर की जा सकती है और
अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।
प्राधिकरण से प्राप्त वकील से शिकायत होने पर उसकी शिकायत
संबंधित जिला विधिक सेवाएँ प्राधिकरण में की जा सकती है।
कोर्ट फीस, प्रोसेस फीस और टाइपिंग शुल्क की अदायगी प्राधिकरण के द्वारा की
जाएगी। यह सारा व्यय सरकार के द्वारा किया जाता है।
यदि आप मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के अधिकारी हैं तो
प्राधिकरण से प्राप्त वकील को आपको कोई फीस नहीं अदा करनी होगी।
मुफ्त कानूनी सलाह उच्च न्यायालय विधिक सेवाएँ समिति एवं सभी
जिला न्यायालय परिसरों में स्थित जिला विधिक सेवाएँ प्राधिकरण से अधिनियम के अनुरूप
सभी व्यक्ति प्राप्त कर सकतें हैं।
महिला
चाहे वह आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न है या नही, मुफ्त कानूनी सहायता की अधिकारी है।
#4
प्रलंबित केस के किसी भी स्तर पर कानूनी सहायता प्रदान की जा
सकती है। इसके अतिरिक्त मुफ्त कानूनी सहायता के लिए योग्य व्यक्तियों को मुकदमें
से पूर्व भी कानूनी सहायता प्राप्त हो सकती है।
यदि प्रार्थी निरक्षर है या लिखने की स्थिति में नहीं है तो
विधिक सेवाएं प्राधिकरण/समिति का सचिव अथवा अन्य कोई अधिकारी उसके मौखिक बयान को
रिकार्ड करेगा और उस रिकार्ड पर उसके अंगूठे का निशान/हस्ताक्षर लेगा और उस
रिकार्ड को उसके प्रार्थना-पत्र के समान ही समझा जाएगा।
वे
किन्नर जिनकी सालाना आय 2 लाख रू.
से कम हैं, मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के अधिकारी है।
न्यायालय
के समक्ष पहली बार प्रस्तुत होने वाले कैदी की ओर से कोई वकील न होने की स्थिति
में न्यायालय के द्वारा प्राधिकरण की ओर से उस न्यायालय में नियुक्त रिमांड
एडवोकेट प्रतिदिन (जिसमें छुट्टी के दिन भी सम्मिलित हैं), प्रदान किया
जाता है।
सभी बाल कल्याण समितियों, किशोर न्याय बोर्ड एवं ऑल इंडिया लीगल एड सेल ऑन चाइल्ड राइटस
में भी प्राधिकरण की ओर से अधिवक्ता नियुक्त किए गए है।
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