तलाक के नियम जिनकी जानकारी हर शादीशुदा जोड़े को होनी चाहिए
#1
माना जाता है कि जोड़े स्वर्ग में बनते हैं. आमतौर पर वैवाहिक रिश्ते में बंधते वक्त साथी यही महसूस करते हैं लेकिन कई बार जल्द ही रिश्ते में घुटन और ऊब आ जाती है. दूसरे किसी भी रिश्ते से अलग इस रिश्ते को तोड़ने के लिए कानूनी प्रक्रिया की जरूरत होती है. तलाक की अर्जी देकर पति-पत्नी आपसी संबंध सामाजिक और कानूनी दोनों ही तरह से खत्म कर सकते हैं.हालांकि कोर्ट-कचहरी चुनिंदा ऐसी बातों में से है, जिससे ज्यादातर भारतीय घबराते हैं.
कुछ ठोस बातों की जानकारी तलाक की अर्जी दायर करने का फैसला लेने में मदद कर सकती है.
देश में तलाक के दो तरीके हैं, एक तो आपसी सहमति से तलाक और दूसरा एकतरफा अर्जी लगाना.
#2 पहले तरीके में दोनों की राजी-खुशी से संबंध खत्म होते हैं. इसमें वाद-विवाद, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप जैसी बातें नहीं होती हैं, इस वजह से इस बेहद अहम रिश्ते से निकलना अपेक्षाकृत आसान होता है. आपसी सहमति से तलाक में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना होता है. गुजारा भत्ता सबसे अहम है. पति या पत्नी में से एक अगर आर्थिक तौर पर दूसरे पर निर्भर है तो तलाक के बाद जीवनयापन के लिए सक्षम साथी को दूसरे को गुजारा भत्ता देना होता है. इस भत्ते की कोई सीमा नहीं होती है, ये दोनों पक्षों की आपसी समझ और जरूरतों पर निर्भर करता है. इसी तरह से अगर शादी से बच्चे हैं तो बच्चों की कस्टडी भी एक अहम मसला है. चाइल्ड कस्टडी शेयर्ड यानी मिल-जुलकर या अलग-अलग हो सकती है. कोई एक पेरेंट भी बच्चों को संभालने का जिम्मा ले सकता है लेकिन अगले पक्ष को उसकी आर्थिक मदद करनी होती है.---------------------------------------------------------------------------------
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