सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पिता की संपत्ति में आपका अधिकार //हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956

 पिता की संपत्ति में आपका अधिकार

        
#1
(हिन्दू सक्सेशन एक्ट), 1956 के अनुसार, अगर पिता का स्वर्गवास बिना वसीयत बनाए हो जाता है तो एक बेटे या बेटी का अपने पिता की खुद से कमाई हुई संपत्ति पर वारिस के रूप में पहला अधिकार होता है। वारिस के तौर पर, एक व्यक्ति को पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा हासिल करने का कानूनी अधिकार भी होता है। 
#2
पैतृक संपत्ति के मामले में
  लेकिन नीचे दी गई कुछ विशेष स्थितियों में बेटा पिता की संपत्ति में से अपना हिस्सा नहीं ले सकता है।
हिंदू कानून के अनुसार, एक व्यक्ति को जन्म के साथ ही पैतृक संपत्ति में अपने हिस्से का अधिकार मिल जाता है। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पुरुष वंश की चार पीढ़ियों को विरासत में मिलती है। संपत्ति को दो शर्तों के आधार पर पैतृक माना जाता है - अगर पिता को उनके पिता से, मतलब दादा  से उनके देहांत के बाद विरासत में मिली हो ; या दादा के जीवित होते हुए भी उनके पैतृक संपत्ति का बँटवारा करने से विरासत में मिली हो । अगर पिता को संपत्ति दादा से उपहार के रूप में ली हो, तो वह पैतृक संपत्ति नहीं मानी जाती है। 
#3
खुद की कमाई संपत्ति के मामले में 
कानून के हिसाब से एक बेटे का अपने माता-पिता की खुद से कमाई संपत्ति पर कानूनी अधिकार नहीं होता है। हालाँकि, वह अपना हिस्सा माँग सकता है अगर वह संपत्ति बनाने में अपना सहयोग साबित कर दे । इसके अलावा, एक बेटे के लिए माता-पिता की खुद से कमाई संपत्ति में हिस्सा पाने का कोई मौका नहीं होता है अगर उसके पिता ने अपनी वसीयत में संपत्ति किसी और को दी हो, या दस्तावेज़ बनाकर भेंट दी हो। उसके माता- पिता उसे संपत्ति का इस्तेमाल करने दे सकते हैं लेकिन माता- पिता पर इसके लिए कोई दवाब नहीं होगा। इसके अलावा, पोते का उसके दादा की खुद से कमाई संपत्ति  पर कोई अधिकार नहीं होता है। 
अगर पिता संपत्ति उपहार में दें.
#4
     एक संपत्ति को पैतृक संपत्ति नहीं माना जाता है अगर वह पिता ने अपने बेटे को उपहार में दी हो। इसलिए, एक व्यक्ति अपने दादा के द्वारा पिता को उपहार में दी गई संपत्ति में अपने हिस्से का दावा नहीं कर सकता । ऐसी संपत्ति जो बेटे या बेटी को पिता से उपहार के रूप में मिली हो, वह उनकी खुद से कमाई संपत्ति बन जाती है। ऐसे मामलों में, पोते/पोतियों का ऐसी संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता जिसे उनके दादा ने अपने बेटे या बेटी को उपहार में दी हो, जो वे किसी और व्यक्ति को भी दे सकते थे। जब तक दादा इसे अपनी इच्छा से पैतृक संपत्ति नहीं बनाते तब तक ऐसी संपत्ति को खुद  से कमाई हुई संपत्ति माना जा सकता है।
#5
       बेटा अपने पिता  के जीवित रहते हए भी पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा माँग सकता  है। किसी भी सूरत में, आवेदक को संपत्ति में अपने हिस्से पर हक़ साबित करना होता है। हालाँकि, अधिनियम सौतेले बेटे    ( माता-पिता के मृतक साथी या किसी दूसरे साथी का बेटा, या इस तरह के कुछ मामलों में ) को पहला वारिस नहीं मानता।  

----------------------------------------------------------

READ MORE------

👉👉CRPC  482 के तहत शक्ति आपराधिक कार्यवाही 

को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल हो सकती है जो 

मंजूरी,तुच्छ मामलों या अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग के 

लिए पहली नजर में बुरी है : सुप्रीम कोर्ट

👉👉पिता की संपत्ति में आपका अधिकार //

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956

---------------------------------------------------------------------------------- 

  ************************************************************************


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in the comment box.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से कर रही हो गिरफ्तार, तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार

अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से कर रही हो गिरफ्तार, तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार  ----     #1      अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान (Constitution)के अनुच्छेद (Article) 20, 21और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे Supreme Court जा सकता है. - --------------------------------------------------------------------------------  READ MORE ................... 👉 अब घर खरीदार ,रियल इस्टेट (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 2016 (रेरा )के साथ Consumer Forum.भी जा सकता है, 👉 घर में काम करने वाली पत्नियों की कीमत कामकाजी पतियों से बिल्कुल भी कम नहीं है। - सुप्रीम कोर्ट ---------------------------------------------------------------------------------   #2 पुलिस गिरफ्तारी से संबंधित कानूनों का विस्तार  ---- 1. CRPC की धारा 50...

विधवा महिला का विरासत के Property में अधिकार

  विधवा महिला का विरासत के Property   में अधिकार @विधवाओं के संदर्भ में भारतीय समाज विकसित हो रहा है। पहले के समय में , उन्हें विशेष रूप से संपत्ति विरासत के संबंध में विभिन्न क्षेत्रों में भेदभाव के अधीन किया गया था , जबकि उन्हें वास्तव में जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए भावनात्मक और वित्तीय सहायता थी। @कुछ साल पहले , बॉम्बे हाईकोर्ट ( एचसी ) ने एक मामला सुना जहां एक मृत व्यक्ति के भाई ने विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 की धारा 2 का हवाला दिया और जोर देकर कहा कि उसकी बहू जिसने पुनर्विवाह किया था उसे विरासत में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए अपने पूर्व पति की संपत्ति। @हालांकि , अदालत ने फैसला सुनाया कि एक विधवा के पास अपने पूर्व पति की संपत्तियों पर अधिकार हैं , भले ही उसने दोबारा शादी की हो , क्योंकि वह कक्षा 1 उत्तराधिकारी के रूप में अर्हता प्राप्त करेगी , जबकि पति के रिश्ते को द्वितीय श्रेणी उत्तराधिकारी माना जाएगा। ...

प्रॉपर्टी के वारिस लोग नहीं बन सकते

प्रॉपर्टी के वारिस लोग नहीं बन सकते।   @   हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 :                 @ हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में एेसी कई स्थितियां हैं , जिसके तहत किसी शख्स को वसीयत पाने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है , या वह उसके लिए पहली पसंद नहीं होता। आइए आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं जो कानून के मुताबिक प्रॉपर्टी के वारिस नहीं हो सकते। @सौतेला : जिस शख्स से प्रॉपर्टी पाने की उम्मीद है , अगर उससे रिश्ता वही रहता है तो जैविक संतान को प्राथमिकता दी जाती है। सौतेले वह बच्चे होते हैं , जिसके मां या बाप ने दूसरी शादी की है। एेसे मामलों में , पिता के जैविक बच्चों ( पिछली पत्नी से ) का प्रॉपर्टी पर पहला अधिकार होता है। संक्षेप में कहें तो जैविक बच्चों का अधिकार सौतेले बच्चों से ज्यादा होता है। @एक साथ मौत के मामले में : यह पूर्वानुमान पर आधारित है। अगर दो लोग मारे गए है...